(बाल कविता)
बोर्ड पर तीन बार चॉक चलाकर
उसने पूछा
बताओ, कहाँ कहाँ है त्रिभुज ?
बच्चों ने स्मृतियाँ टटोलीं
केक का टुकड़ा त्रिभुज
नुक्कड़ के समोसे त्रिभुज
स्कूल की छत
देवदार के पेड़
कोने वाली ताक त्रिभुज
बिल्ली के कान
खच्चर का मुँह
प्रिंसिपल की नाक त्रिभुज ।
वह हँसी
और ले गई बच्चों को
खिड़की के पास
देखो पहाड़
नेपथ्य में तीव्र से शांत से
त्रिभुज
त्रिभुज आकार है संतुलन का
त्रिभुज की ओर दौड़ता जाता है आकाश
और लौटता है हरे जंगल बनकर
बादल बदल जाते हैं नदी में
और आदमी लौटता है जैसे
खोलकर तीसरी आँख ।
वो हँसती रही –
मछुआरे का जाल त्रिभुज
बुनाई की चाल त्रिभुज
मजदूर की पीठ
माँ की कोख
झुका हुआ सर त्रिभुज
पुल का स्थायित्व
तराज़ू का दायित्व
ढहा हुआ घर त्रिभुज
बच्चो
त्रिभुज आकार है संतुलन का
त्रिभुज को नमस्कार करो ।