घर

एक कदम
पीछे हटते ही
हो जाती हो कैद
उसी सुनहरे पिंजरे में ।

एक कदम
बढ़ाने पर
बाहर हो जाती हो ?
समाज के दायरों से दूर
बहुत दूर…

क्या तुम्हारे घर में
आँगन नहीं है ?